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मध्य प्रदेश

सरसों की फसल को एमएसपी पर खरीदने की तैयारी पूरी करने का निर्देश

सरसों की फसल को एमएसपी पर खरीदने की तैयारी पूरी करने का निर्देश

केंद्र सरकार इस बार एमएसपी पर सरसों की खरीद करेगी। सरकार ने इसकी संपूर्ण तैयारियां कर ली हैं। केंद्रीय कृषि मंत्री अर्जुन मुंडा ने बुधवार को इस बात की जानकारी दी है। भारत में इस बार सरसों की काफी शानदार पैदावार हुई है, जिस पर केंद्रीय कृषि मंत्री अर्जुन मुंडा ने किसानों का आभार प्रकट किया है। 

कृषि मंत्री का कहना है, कि इस साल किसानों ने भारी मात्रा में सरसों की पैदावार की है। इसके लिए समस्त किसान भाई-बहन बधाई के पात्र हैं। मुंडा ने कहा कि उन्होंने संबंधित विभागों को सरसों को न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) पर खरीदने के लिए कहा है। ताकि किसानों को उपज बेचने में कोई कठिनाई न आए और उन्हें उपज की समुचित धनराशि मिल सके।

MSP पर सरसों की खरीद की जाएगी 

मीडिया को एक ब्रीफिंग में मुंडा ने आगे बताया कि सरकार ने रबी फसलों के विपणन सीजन के दौरान मूल्य समर्थन योजना (पीएसएस) के तहत सरसों की खरीद की तैयारी की है। उन्होंने कहा, "सरकार के लिए किसानों का हित सर्वोपरि है। अगर सरसों की कीमत न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) से नीचे जाती हैं, तो सरकार किसानों से एमएसपी पर सरसों खरीदेगी। उन्होंने बताया कि इसके लिए आवश्यक व्यवस्थाएं भी की गई हैं।"

खरीद की सारी तैयारियां पूर्ण करने का निर्देश दिया है 

उन्होंने कहा कि रबी विपणन सीजन (आरएमएस) के लिए केंद्रीय नोडल एजेंसियों को पहले से ही पीएसएस के तहत सरसों की खरीद के लिए तैयार रहने का निर्देश दिया गया है, ताकि किसानों को किसी भी तरह की कठिनाई का सामना न करना पड़े। उन्होंने कहा, "रबी विपणन सीजन-2023 के दौरान गुजरात, हरियाणा, मध्य प्रदेश, राजस्थान, उत्तर प्रदेश और असम राज्यों से पीएसएस के तहत खरीद की मंजूरी 28.24 एलएमटी सरसों थी।"

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कृषकों को अधिक समस्याओं का सामना नहीं करना पड़ेगा 

आरएमएस-2024 के लिए भी सभी सरसों उत्पादक राज्यों को सूचित किया गया है, कि यदि राज्य में सरसों का वर्तमान बाजार मूल्य अधिसूचित एमएसपी से कम है, तो पीएसएस के तहत सरसों की खरीद का प्रस्ताव समय रहते भेजें। उन्होंने कहा कि आरएमएस-2024 के लिए सरसों का एमएसपी 5,650 रुपये प्रति क्विंटल है। उन्होंने कहा कि सरकार का प्रयास है, कि किसानों को उनकी उपज का सही भाव मिल सके और उन्हें अपने उत्पाद को बेचने में कोई समस्या न आए।

भोपाल में किसान है परेशान, नहीं मिल रहे हैं प्याज और लहसुन के उचित दाम

भोपाल में किसान है परेशान, नहीं मिल रहे हैं प्याज और लहसुन के उचित दाम

वैसे तो मध्य प्रदेश की चर्चा आमतौर पर कृषि के क्षेत्र में कार्य करने हेतु होती रहती है। बार-बार न्यूज़ मीडिया के माध्यम से यह बताया जाता है कि मध्य प्रदेश की सरकार किसानों के हित के लिए कार्य कर रही है। किसान किस तरह से आत्मनिर्भर हो और किसान की आय में किस तरह से बढ़ोतरी हो, इसको लेकर लगातार मध्य प्रदेश सरकार काम करने की कोशिश कर रही है।

भोपाल के किसानों की फसल का अब क्या होगा ?

मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल में किसानों की हालत बहुत ही खराब हो चुकी है। किसानों को उनकी फसल का उचित रेट भी नहीं मिल पा रहा है, जिससे किसान काफी मायूस है। भोपाल के मंडियों में किसानों को उनके उगाई गई फसल लहसुन और
प्याज का उचित मूल्य भी प्राप्त नहीं हो रहा है, जिससे किसानों में काफी नाराजगी बनी हुई है। किसानों की तो यह स्थिति हो चुकी है कि फसल को बाजार तक लाने का किराया भी जुटा पाना मुश्किल हो गया है। इस बार मौसम ने भी किसानों के साथ शायद अन्याय कर दिया है, क्योंकि जहां देश के कई राज्यों में बारिश नहीं होने के कारण फसलों को भारी नुकसान झेलना पड़ा है, वहीं देश के अन्य राज्यों में अधिक बारिश होने के कारण सारे फसल पानी लग जाने के कारण बर्बाद हो चुके हैं। फसलों का इस तरह से बर्बाद हो जाना किसानों के लिए बहुत ही महंगा साबित हो रहा है। इस बार मौसम की बेरुखी के कारण ऐसे ही फसलों की उपज में कमी पाई गई है, वहीं दूसरी तरफ किसानों ने जो फसल उगाई थे उसका भी उचित मूल्य प्राप्त नहीं हो रहा है।


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कृषि मंत्री का अजीबोगरीब बयान

एक तरफ मध्य प्रदेश सरकार विश्व के बाजारों में अपने उत्पादन को प्रमोट करती हुई दिख रही है, तो दूसरी तरफ मध्य प्रदेश की राजधानी में ही किसानों का यह हाल है कि उनके द्वारा उपजाए गए फसलों का ही उचित मूल्य प्राप्त नहीं हो रहा है। ऐसी स्थिति में किसानों के साथ सरकार का रुख नरम होना चाहिए था लेकिन ऐसा नहीं हुआ। समस्याओं का समाधान करने के बजाय मध्य प्रदेश सरकार के मंत्री ने कुछ इस तरह का बयान दे दिया जिससे किसानों में भारी नाराजगी देखने को मिल रही है। मध्य प्रदेश के कृषि मंत्री श्री कमल पटेल समस्याओं का निराकरण करने के बजाय है यह कहते हुए पाए गए कि किसानों को इस तरह की फसल नहीं उगाना चाहिए जिसका मंडियों में उचित मूल्य नहीं मिलता है। अब सवाल यह है कि क्या किसान सिर्फ उन्हीं फसलों की खेती करें जिसका मंडियों में उचित मूल्य मिलता हो?


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यह मामला तब सामने आया जब मध्य प्रदेश के एक किसान ने कृषि मंत्री श्री पटेल को फोन कर किसानों की हालत से अवगत कराया। बातचीत के दौरान कृषि मंत्री श्री पटेल ने यह कहा कि मैं किसानों को उनकी उपज का यानी लहसुन प्याज का उचित मूल्य कहां से दूं, कुछ दिन और रुक जाओ लहसुन के दाम 4 गुना अधिक हो जाएंगे। लेकिन किसानों का कहना है कि कुछ दिन बाद बाजार में नए फसल आ जाएंगे तो फिर लहसुन और प्याज का उचित मूल्य कहां से प्राप्त होगा। साथ में उन्होंने यह भी कहा कि मेरे पास कृषि विभाग है, मेरे अंदर लहसुन और प्याज का विभाग नहीं आता है। कृषि मंत्री का किसानों के प्रति इस तरह का विवादास्पद बयान देना बहुत ही आपत्तिजनक है। इस तरह के बयानों से किसानों को सिर्फ निराशा हाथ लगती है किसान मायूस हो जाते हैं और इसका असर आने वाले समय में व्यापक स्तर पर होने लगता है क्योंकि अगर किसान फसल ही नहीं उगाएंगे तो फिर क्या हालात होगी। ये भी पढ़ें : प्याज़ भंडारण को लेकर सरकार लाई सौगात, मिल रहा है 50 फीसदी अनुदान बात यहीं तक नहीं रुकती है। मंत्री जी ने किसानों को यह सलाह देते हुए कहा कि उन्हें मूंग की खेती करनी चाहिए। कई बार किसानों को उनकी फसल पर दोगुना तिन गुना अधिक रेट मिलता है। इसीलिए किसान को परेशान नहीं होना चाहिए। अगर किसान मूंग की खेती करते हैं तो उन्हें ज्यादा फायदा होगा। लेकिन किसानों का कहना है कि इससे पहले हमने सोयाबीन की खेती की थी उसका भी फसल पूरी तरह से बर्बाद हो गया। किसी तरह का कोई सर्वे सरकार के द्वारा नहीं कराया गया, अगर हम मूंग (Mung bean) की फसल का उपज करते हैं तो इसकी गारंटी कौन लेगा कि आने वाले समय में इस फसल पर हमें अच्छा रेट मिल पाएगा।


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मूंग का मिल जाएगा अच्छा रेट?

अब यह समझने की भी जरूरत है कि फसलों को उगाने में किसान अपना सब कुछ लगा देते हैं और इन्हीं फसलों को बेचकर अपना उपार्जन करते हैं। फसलों का मौसम की बेरुखी के कारण बर्बाद हो जाना और उसके बाद इनकी समस्याओं को दरकिनार कर विवादास्पद बयान सरकार के मंत्रियों के द्वारा देना क्या किसानों के लिए हितकारी साबित होगा। जमीनी स्तर पर यह किस तरह से संभव हो पाएगा की किसान सिर्फ उन्हीं फसलों की खेती करें जिनका मार्केट वैल्यू यानी बाजार में अच्छे रेट मिल रहे हैं। क्योंकि फसल को उपजाने में मौसम का अहम योगदान होता है, यदि मौसम फसलों के अनुकूल होती है तो अच्छी उपज होती है इसके विपरीत अगर मौसम प्रतिकूल हो तो उपज पर गहरा असर पड़ता है और पैदावार अच्छी नहीं होती है। फसल वृद्धि का मौसम के साथ गहरा संबंध है। कुछ फसलों को अपना अंकुरण शुरू करने से लेकर और आगे विकास जारी रखने तक के लिए एक तापमान की आवश्यकता होती है। ऐसी स्थिति में यह सुनिश्चित करना कैसे संभव है कि मौसम के विपरीत जाकर सिर्फ मूंग की खेती करने से किसानों की समस्याओं का हल हो जाएगा। इस समय सरकार को किसानों की समस्याओं को गंभीरता से लेते हुए उनकी समस्याओं पर विचार करते हुए उनके समस्याओं का निराकरण करना चाहिए और किस तरह से किसान बेहतर खेती कर पाए और उसके द्वारा उपजाए गए फसलों को उचित मूल्य बाजार और मंडियों में प्राप्त हो, इसके लिए सरकार को पहल करना चाहिए।


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साथ ही साथ सरकार को किसानों के फसल उगाने के लिए नए तकनीकों के साथ जोड़ने और प्रशिक्षण देना चाहिए, जिससे किसान आने वाले समय में अच्छा उपज करके अपनी फसल को बाजार और मंडियों में बेचकर उचित मूल्य को प्राप्त कर सके और कृषि के क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनने की ओर बढ़ सके।
इस राज्य में सुपर सीडर पर 40 प्रतिशत तक का अनुदान दिया जा रहा है

इस राज्य में सुपर सीडर पर 40 प्रतिशत तक का अनुदान दिया जा रहा है

वर्तमान में संभागीय कृषि अभियांत्रिकी विभाग सतना में किसान भाइयों के लिए सुपर सीडर उपलब्ध है। विशेष बात यह है, कि यदि किसान भाई सीडर खरीदते हैं, तो इस पर उन्हें 40 प्रतिशत तक अनुदान दिया जाएगा। मध्य प्रदेश की राज्य सरकार किसान भाइयों की आमदनी में इजाफा करने के लिए विभिन्न प्रकार की योजनाएं जारी कर रही है। इन योजनाओं के अंतर्गत किसान भाइयों की खेती करने की तकनीक वैज्ञानिक रूप धारण कर गई है। इसके अतिरिक्त मध्य प्रदेश में कृषकों को कृषि यंत्रों पर अच्छा-खासा अनुदान भी दिया जा रहा है। परंतु, फिलहाल रीवा और सतना जनपद के किसानों के लिए काफी अच्छी खुशखबरी है। यहां के कृषकों को सुपर सीडर मशीन खरीदने के लिए अच्छा-खासा अनुदान प्रदान किया जा रहा है। 

सुपर सीडर किसानों के लिए काफी उपयोगी साबित होता है

मीडिया खबरों के अनुसार, सुपर सीडर एक ऐसा यंत्र है, जिसको ट्रैक्टर के साथ जोड़कर खेती-बाड़ी करने के कार्य में लिया जाता है। इस यंत्र का सर्वाधिक इस्तेमाल फसलों की बुवाई करने हेतु किया जाता है। इसके इस्तेमाल से नरवाई की दिक्कत परेशानी दूर हो चुकी है। अब ऐसी स्थिति में गेहूं एवं चने की खेती करने वाले कृषकों के लिए सुपर सीडर यंत्र बेहद उपयोगी साबित होता है। 

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सुपर सीडर के उपयोग से नरवाई जलाने की आवश्यकता नहीं पड़ती

आपकी जानकारी के लिए बतादें, कि किसी फसल के डंठल को नरवाई कहा जाता है। सुपर सीडर धान एवं गेहूं की डंठल को छोटे- छोटे भागों में विभाजित कर मृदा में मिला देता है। अब ऐसी स्थिति में सुपर सीडर मशीन से फसलों की बिजाई करने वाले कृषकों को नरवाई को आग के जरिए जलाना नहीं पड़ता है। इससे प्रदूषण पर भी रोक लगती है। 

सुपर सीडर पर 40 प्रतिशत तक का अनुदान दिया जाएगा

फिलहाल, संभागीय कृषि अभियांत्रिकी विभाग सतना में किसान भाइयों के लिए सुपर सीडर उपलब्ध हैं। विशेष बात यह है, कि यदि किसान भाई सीडर खरीदेंगे तो 40 प्रतिशत तक अनुदान मिलेगा। मुख्य बात यह भी है, कि यह यंत्र एक घंटे में एक एकड़ भूमि में फैले नरवाई को चौपट कर देती है। इसके पश्चात फसलों की बिजाई करती है। धान के उपरांत गेहूं एवं गेंहू के बाग मूंग की खेती करने वाले कृषकों के लिए सुपर सीडर किसी वरदान से कम नहीं है। किसान भाई सुपर सीडर के माध्यम से वर्षभर में अच्छी-खासी आमदनी की जा सकती है। वैसे तो सुपर सीडर की कीमत लगभग 3 लाख रुपये है। परंतु, कृषि विभाग की तरफ से 40 प्रतिशत प्रतिशत अनुदान मिलने के पश्चात इसकी कीमत काफी हद तक कम हो जाती है।

एमपी के सीएम शिवराज की समर्थन मूल्य पर मूंग खरीदी घोषणा की टाइमिंग पर सवाल

एमपी के सीएम शिवराज की समर्थन मूल्य पर मूंग खरीदी घोषणा की टाइमिंग पर सवाल

सीएम ने आखिरी दौर में की घोषणा, अब सर्वर डाउन

पहले ही उपज बेच चुके हैं कुछ किसान, चूक गए चौहान मध्य प्रदेश राज्य सरकार ने
न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) पर मूंग की सरकारी खरीद शुरू करने का निर्णय लिया है। किसान हित में मुख्यमंत्री के इस निर्णय को देर से लिया गया फैसला बताया जा रहा है। मध्य प्रदेश में मूंग की खेती करने वाले किसानों के लिए समर्थन मूल्य पर उपज खरीदने के सरकारी निर्णय की जरूरी खबर आई तो जरूर है, लेकिन देरी से। गुड न्यूज ये भी है कि सरकार ने इस साल समर्थन मूल्य में आंशिक लेकिन वृद्धि जरूर की है।



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टाइमिंग पर सवाल -

भले ही मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान का यह एक किसान समर्थित फैसला हो, लेकिन इसकी टाइमिंग पर भी सवाल उठ रहे हैं। उन पर मूंग के समर्थन मूल्य की घोषणा के संदर्भ में चूक गए चौहान वाली कटूक्तियां की जा रहीं हैं।

उपज बेच चुके किसान -

किसानों का कहना है कि, मध्य प्रदेश सरकार ने समर्थन मूल्य पर खरीदी करने में देर कर दी है। इस घोषणा एवं खरीदी संबंधी रजिस्ट्रेशन आदि की प्रक्रिया पूरी होने के पहले तक अधिकांश किसानों ने कृषि उपज मंडी में ओने-पोने दाम पर मूंग की अपनी उपज बेच दी है।



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प्रक्रिया इस बार -

मध्य प्रदेश में इस साल समर्थन मूल्य पर खरीदी करने का रजिस्ट्रेशन सिर्फ सहकारी सोसायटी के माध्यम से हो रहा है। ऐसी स्थिति में पंजीकरण का अन्य कोई विकल्प न होने से भी किसान असमंजस में हैं, कि वे किस तरह समर्थन मूल्य पर उपज का रजिस्ट्रेशन कराएं। मध्य प्रदेश के रायसेन जिले के बरेली आदि क्षेत्रों में ग्रीष्म कालीन सीजन में गेहूं, चना, कटाई के फौरन बाद मूंग की खेती शुरू कर दी जाती है। इस चक्र के अनुसार इस बार भी क्षेत्र के कृषकों ने लगभग 18 से 20 हजार हेक्टेयर भूमि में मूंग की बोवनी की थी।



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तंत्र की खामी -

इंटरनेट आधारित समर्थन मूल्य पर कृषि उपज के रजिस्ट्रेशन प्रक्रिया तंत्र की सबसे बड़ी समस्या सर्वर डाउन होने की है। किसानों ने जी तोड़ मेहनत कर मूंग उपजाई थी, लेकिन सरकारी खरीद नीति ने फिलहाल किसानों की मुसीबत बढ़ा दी है। कई जगहों पर सर्वर डाउन होने की वजह से पंजीयन नहीं हो पा रहे हैं। पंजीकरण सिर्फ सहकारी सोसायटी से होने के कारण दूसरा विकल्प न होने से भी किसान मूंग की उपज के पंजीकरण से वंचित हैं।



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इनको किया था दायरे में शामिल -

सरकार ने पूर्व में धान, गेहूं, चना आदि उपज के लिए समर्थन मूल्य की घोषणा की थी, लेकिन सरकार के द्वारा हाल ही में मूंग की उपज को समर्थन मूल्य के दायरे में लाया गया।

पिछले माह के मुकाबले अंतर -

पिछले साल सरकार ने मूंग के बारे में 15 जून से समर्थन मूल्य की घोषणा की थी। इस साल सरकार ने 18 जुलाई से समर्थन मूल्य पर मूंग की खरीदी प्रारंभ करने का निर्णय लिया है। हालांकि इस बार सरकार ने समर्थन मूल्य में 79 रुपए की वृद्धि की है।

समर्थन मूल्य तब और अब -

सरकार ने इस वर्ष मूंग का समर्थन मूल्य 79 रुपए बढ़ाकर 7275 रुपए तय किया है। पिछले साल मूंग का समर्थन मूल्य 7196 रुपए था। आंकड़ों के मान से इस बार बाडी क्षेत्र में 18 से 20 हजार हेक्टेयर भूमि में मूंग की बोवनी हुई।
बदलते मौसम और जनसँख्या के लिए किसानों को अपनाना होगा फसल विविधिकरण तकनीक : मध्यप्रदेश सरकार

बदलते मौसम और जनसँख्या के लिए किसानों को अपनाना होगा फसल विविधिकरण तकनीक : मध्यप्रदेश सरकार

केंद्र सरकार किसानों के लिए विभिन्न प्रकार की योजना बना रही है, जिससे न सिर्फ किसानों की आय बढ़ेगी, बल्कि इससे पर्यावरण भी सुरक्षित रहेगा। हाल ही के दिनों में एक ऐसे योजना की शुरुआत हुई है, जिसको जान कर किसान हैरान रह जायेंगे। इस योजना में आपको बताया जायेगा कि अब एक साथ आप कैसे विभिन्न प्रकार की खेती कर सकते हैं ताकि आपकी आय बढ़कर तिगुना हो जाए। इस योजना का नाम है “फसल विविधिकरण(Crop Diversification)। इस बदलते समय और बढ़ते जनसँख्या के लिए यह फसल विविधिकरण योजना एक बहुत ही आवश्यक कदम है। इस योजना से न सिर्फ किसानों की आय बढ़ेगी, बल्कि यह उनके खेत का भी स्वास्थ्य ठीक करेगा जिससे अन्य फसलें भी अच्छे से उग सकेंगी। इस योजना पर केंद्र सरकार बहुत जोर दे रही है, लेकिन आपको आश्चर्य होगा कि मध्य प्रदेश सरकार ने इस तरह की योजना की शुरुआत बहुत पहले कर दी थी, जिसमें धान, गेहूं और अन्य पारंपरिक खेती के अलावा सरकार अब फूल, सब्जी और मसाला की खेती पर काफी जोर दे रही है। इसके साथ-साथ फल पौधा रोपण और क्रॉप डायवर्सिफिकेशन पर भी सरकार नजर बनाये हुए है।

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गौरतलब है कि साल 2022-23 में 2 हज़ार हेक्टेयर से अधिक क्षेत्र में फल पौधा रोपण अभियान के तहत विभिन्न प्रकार के पौधे लगाये गए हैं, जिसमें आम, अमरुद, संतरा, निम्बू, काजू, अनार, ड्रैगन फ्रूट, स्ट्रॉबेरी, केला जैसे पौधे शामिल थे। इन फलों का उत्पादन शुरू हो चुका है। इसके अलावा सब्जी उत्पादन के क्षेत्र में फसल विविधिकरण का उपयोग किया जा रहा है, खीरा, शिमला मिर्च, लौकी, भिन्डी और अन्य सब्जी का उत्पादन किया जा रहा है। आपको बता दे कि फसल विविधिकरण का उपयोग कर पिछले वर्ष के मुकाबले इस वर्ष सब्जी, मसाला और फूल के उत्पादन में 6.45 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। आपको मालूम हो कि इस योजना को और मजबूती प्रदान करने के लिए राज्य के 137 से अधिक नर्सरी को स्वयं सहायता समूह से जोड़ा गया है, जिससे हजारों पौधे तैयार किए गए है। मध्य प्रदेश के उद्यानिकी और खाद्य प्रसंस्करण विभाग के कार्यों की समीक्षा बैठक में मुख्यमंत्री ने कहा की इस वर्ष कोल्ड स्टोरेज का 25 लाख मीट्रिक टन क्षमता वृद्धि का लक्ष्य रखा गया है। उसी समीक्षा बैठक में अधिकारियों को निर्देश दिया गया कि “एक जिला एक उत्पादन” के तहत बागवानी फसलो और उत्पादों की मार्केटिंग एक मिशन की तरह की जाएँ, जिससे किसानों को लाभ हो और पर्यावरण संरक्षण में भी मदद मिल सके।

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किसानों को मिलेगा प्रशिक्षण

मुख्यमंत्री ने अधिकारीयों को निर्देशित किया कि किसानों के विशेष प्रशिक्षण की व्यवस्था की जाये, जिसमे उनको ड्रिप इर्रेगेशन (drip irrigation), जैविक बागवानी, माली प्रशिक्षण आदि के बारे में उनको बताया जाए ताकि उनकी आय बढे। इसके लिए जगह जगह प्रशिक्षण केंद्र व मुरौना में सेंटर ऑफ़ एक्सीलेंस प्रारंभ भी किया जाएगा। प्रदेश के दस जिलों को ग्रीन क्लस्टर हाउस के रूप में विकसत करने की भी बात कही गयी है, इसमें भोपाल, सीहोर, उज्जैन, रतलाम, नीमच, बड़वानी, खण्डवा, खरगौन जबलपुर और छिंदवाड़ा शामिल हैं। दस जिलों में बनेंगे ग्रीन हाउस क्लस्टर।

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प्रदेश में फसलों की उत्पादकता में वृद्धि और विविधीकरण, कृषि इंफ्रास्ट्रक्चर के प्रयास, प्रमाणित जैविक उत्पादन में वृद्धि, कृषि एवं उद्यानिकी उत्पादों का मूल्य संवर्धन पर भी चर्चा की गयी।  बैतूल जिले में शेडनेट निर्माण का क्लस्टर विकसित किया गया है। प्रदेश के दस जिलों भोपाल, सीहोर, उज्जैन, रतलाम, नीमच, बड़वानी, खण्डवा, खरगौन जबलपुर और छिंदवाड़ा में ग्रीन हाउस क्लस्टर विकसित किए जाएंगे। इस साल सीहोर, ग्वालियर और मुरैना में इनक्यूबेशन सेंटर्स का भूमि-पूजन किया गया है। अतिरिक्त रोजगार के लिए मत्स्यपालन, रेशम पालन विकास और मधुमक्खी पालन के कार्यों को बढ़ावा देने की बात भी कही गयी है।
मध्य प्रदेश में अब इलेक्ट्रॉनिक कांटे से होगी मूंग की तुलाई

मध्य प्रदेश में अब इलेक्ट्रॉनिक कांटे से होगी मूंग की तुलाई

मध्य प्रदेश के किसानों के लिए एक अच्छी खबर यह है कि राज्य के कृषि मंत्री कमल पटेल ने मूंग (Moong or Mung Bean) की तुलाई इलेक्ट्रॉनिक कांटे (Electronic Weighing Scales) से करने का निर्देश दिया है, जिससे किसान बहुत खुश नजर आ रहें हैं। राज्य में न्यूनतम समर्थन मूल्य पर मूंग की खरीद लगातार हो रही है। कृषि मंत्री कमल पटेल ने देवास जिले में स्थित कन्नौद के ग्राम ननासा में ग्रीष्मकालीन मूंग उपार्जन केंद्र का जायजा लिया, किसानों को कोई परेशानी न हो इसको ध्यान में रखते हुए कृषि मंत्री कमल पटेल ने पूरे प्रदेश में मूंग की तौल इलेक्ट्रॉनिक कांटे से करने का निर्देश दिया।

समर्थन मूल्य पर मूंग की खरीद के लिए सरकार का किसानों ने आभार जताया

कमल पटेल ने हरदा जिले के ग्राम कडोला में भी उपार्जन केंद्र का निरीक्षण किया, उन्होंने उपार्जन केंद्रों पर किसानों के लिए की गई सभी तरह के व्यवस्थाओं का भी निरिक्षण किया, उन्होंने साफ़ तौर पर निर्देश दिया की व्यवस्थाओं में किसी भी प्रकार की कोई कमी नहीं होनी चाहिए, उन्होंने मूंग उपार्जन केंद्रों में मौजूद किसानों से बहुत देर तक बातचीत की और किसानों के समस्यायों को नजदीक से जानने की कोशिश की। कृषि मंत्री के आने से किसान काफी खुश नजर आ रहे थे।

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किसानों ने बताया कि सरकार द्वारा समर्थन मूल्य पर मूंग की खरीद से काफी राहत मिल रही है, सरकार मूंग को 7275 रुपये प्रति क्विंटल की दर से खरीद रही है जिससे किसान को वास्तव में काफ़ी राहत मिल रही है। मूंग की खेती करने से मिट्टी की उर्वरता में काफ़ी सुधार होता है, मूंग की खेती नाइट्रोजन को मिट्टी में स्थिर करने में मदद करती है। मूंग की गिरी हुई पत्तियां अगली फसल के लिए काफी लाभप्रद होती हैं। यह मुख्य रूप से खाद का काम करती है। मूंग को 65-70 दिनों में उगाया जा सकता है, इसमें उत्पादन की लागत भी कम होती है क्योंकि इसे गेहूं की फसल की कटाई के तुरंत बाद मिट्टी की जुताई के बिना भी बोया जा सकता है। अगर बेहतर ढंग से मूंग की खेती की जाए तो लगभग प्रति एकड़ में 8 क्विंटल तक की पैदवार की जा सकती है।

एसएमएस के जरिए सूचना

मंत्री ने उपार्जन केंद्रों पर निरीक्षण करते हुए कहा कि किसानों से मूंग खरीदारी में कोई समस्या नहीं है और कोई परेशानी न हो इसके लिए सभी तरह की व्यवस्था की गयी है। किसानों को एसएमएस के जरिए सूचना प्राप्त हो रही हैं जिसके आधार पर किसान अपनी उपज को लेकर उपार्जन केंद्रों पर आ रहे हैं। किसानों ने मीडिया से बातचीत के दौरान बताया कि अगर समर्थन मूल्य पर सरकार द्वारा मूंग की खरीद नहीं की जाती तो उन्हें भारी नुकसान उठाना पड़ता, लेकिन सरकार ने किसानों को आर्थिक बल देने के लिए जो कदम उठाया है, उसकी हमसब काफ़ी सराहना करते हैं। न्यूनतम समर्थन मूल्य पर मूंग की खरीदारी के निर्देश से पहले मजबूरी में किसान मूंग को 5 से 6 हजार रुपये प्रति क्विंटल की दर से व्यापारियों को बेच रहे थे, इससे किसानों को काफ़ी नुकसान हो रहा था।

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पटेल की अपील

श्री पटेल ने किसानों को आश्वासन देते हुए कहा कि केंद्र और राज्य सरकार दोनों मिलकर किसानों के कल्याण के लिए काम कर रही है। उन्होंने कहा कि किसानों की भलाई के लिये केंद्र और राज्य की सरकार पूर्ण रूप से कृत-संकल्पित है और किसानों को उनकी उपज का सही दाम दिलाने तथा कृषि क्षेत्र को समृद्ध करने को लेकर हमेशा से प्रयासरत हैं, किसी भी प्रकार की परेशानी किसानों को नहीं होने दी जाएगी। श्री पटेल ने पिछले सप्ताह ही केंद्रीय कृषि मंत्रालय से प्रति दिन किसान से 25 क्विंटल की जगह 40 क्विंटल मूंग खरीदने की अपील की थी, इसके लिए उन्होंने केंद्रीय कृषि सचिव से मुलाकात भी की उसके बाद केंद्र सरकार ने श्री पटेल के अपील पर संज्ञान लेते हुए आश्वश्त किया था।

मूंग की बम्पर खरीदारी

इस बार मध्यप्रदेश में 12 लाख हेक्टेयर भूमि में मूंग की खेती की गई है, सरकार को बंपर प्रोडक्शन की उम्मीद हैं, वहीं केंद्र सरकार ने इस साल 2 लाख 40 हजार टन मूंग की खरीद का लक्ष्य रखा है, माना जा रहा हैं कि केंद्र सरकार और राज्य सरकार जिस तरह से किसानों के हित के लिए कदम उठा रही है और जिस तरह से न्यूनतम समर्थन मूल्य पर उपज की खरीदारी हो रहीं हैं, उससे किसानों को काफी राहत मिलेगी। इससे किसान अपनी उपज को अधिक से अधिक बेच पाने में सक्षम हो रहे हैं और साथ ही उन्हें उनकी उपज का अच्छा दाम भी मिल रहा है, जिससे उनकी आय में वृद्धि हो रही हैं।
मध्य प्रदेश सरकार ने लंपी रोग को लेकर जारी की एडवाइजरी

मध्य प्रदेश सरकार ने लंपी रोग को लेकर जारी की एडवाइजरी

डॉ. आर.के. मेहिया ने बताया कि शासन और प्रशासन की लगातार सतर्कता और ग्रामीणों को दी जा रही समझाइश से लम्पी (LSD – Lumpy Skin Disease) प्रकरणों में स्थिति नियंत्रण में है। उन्होंने कहा कि संतोष की बात है कि प्रकरण बढ़े नहीं है, कुछ हद तक घटे हैं। प्रदेश में लम्पी के विरूद्ध अब तक एक लाख 2 हजार से अधिक गौ-वंश का टीकाकरण किया जा चुका है।


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डॉ. मेहिया ने बताया कि लगातार वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से पशुपालन विभाग के संभागीय और जिला स्तरीय अधिकारी और लैब प्रभारी को विषय-विशेषज्ञों द्वारा मार्गदर्शन दिया जा रहा है। स्थिति की लगातार समीक्षा कर गौ-वंश में रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने, निदान और उपचार जारी है।

लक्षण एवं सुझाव

लम्पी रोग से पशुओं को शुरू में बुखार आता है और वे चारा खाना बंद कर देते हैं। इसके बाद चमड़ी पर गाँठें दिखाई देने लगती है, पशु थका हुआ और सुस्त दिखाई देता है, नाक से पानी बहना एवं लंगड़ा कर चलता है। यह लक्षण दिखाई देने पर पशुपालक तुरंत अपने नजदीकी पशु चिकित्सालय या पशु औषधालय से संपर्क कर बीमार पशुओं का उपचार कराएँ। पशु सामान्यत: 10 से 12 दिन में स्वस्थ हो जाता है।


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खुरपका और मुंहपका रोग की रोकथाम की कवायद तेज

क्या करें, क्या न करें

संक्रमित पशु को स्वस्थ पशु से तत्काल अलग करें। पशु चिकित्सक से तत्काल उपचार आरंभ कराएँ। संक्रमित क्षेत्र के बाजार में पशु बिक्री, पशु प्रदर्शनी, पशु संबंधी खेल आदि पूर्णत: प्रतिबंधित करें। संक्रमित पशु प्रक्षेत्र, घर, गौ-शाला आदि जगहों पर साफ-सफाई, जीवाणु एवं विशाणु नाशक रसायनों का प्रयोग करें। पशुओं के शरीर पर होने वाले परजीवी जैसे- किलनी, मक्खी, मच्छर आदि को प्रभावी ढंग से नियंत्रित करें। स्वस्थ पशुओं का टीकाकरण कराएँ और पशु चिकित्सक को आवश्यक सहयोग भी करें।
मध्य प्रदेश के किसान लहसुन के गिरते दामों से परेशान, सरकार से लगाई गुहार

मध्य प्रदेश के किसान लहसुन के गिरते दामों से परेशान, सरकार से लगाई गुहार

इस साल मध्य प्रदेश के साथ कई अन्य राज्यों में लहसुन की अच्छी फसल हुई है। लेकिन लहसुन के अच्छे भाव न मिलने के कारण मध्य प्रदेश के किसान बेहद चिंतित नजर आ रहे हैं। मध्य प्रदेश की मंडियों में लहसुन बेहद सस्ते दामों में बिक रहा है जिससे किसान बेहद परेशान है, क्योंकि यदि लहसुन मिट्टी के मोल बिका तो किसानों की लागत भी नहीं निकल पाएगी। [embed]https://www.youtube.com/watch?v=F5rx-hgX2eo&t=1s[/embed] किसानों को इस साल लहसुन की खेती में भारी नुकसान उठाना पड़ सकता है। पिछले कई दिनों से सोशल मीडिया में ऐसे कई वीडियो वायरल हो रहे हैं जिनमें किसान लहसुन का सही भाव न मिलने के कारण या तो जानवरों को खिला रहे हैं या नदी में फेंक रहे हैं। लहसुन के लगातार गिरते भावों के कारण बहुत सारे किसान अपनी फसल को मंडी में ही फेंककर घर जा रहे हैं।

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लहसुन के गिरते भावों से परेशान आज इंदौर के किसान, इंदौर के सांसद के घर पर पहुंचे। यहां पर उन्होंने फसल के गिरते हुए भावों को लेकर जमकर प्रदर्शन किया। यह प्रदर्शन संयुक्त किसान मोर्चा के आह्वान पर किया गया। इस दौरान किसानों ने सांसद को ज्ञापन सौंपा जिसमें किसानों को उनकी फसलों का उचित भाव दिलाने का आग्रह किया गया। साथ ही किसानों ने सांसद से भावांतर की बकाया राशि के भुगतान की मांग भी की। इस दौरान सांसद ने किसानों से कहा कि वो इन सभी समस्याओं को लेकर मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान से चर्चा करेंगे। प्रदर्शन के दौरान संयुक्त किसान मोर्चा के संयोजक श्री रामस्वरूप मंत्री ने कहा कि हम सिर्फ किसानों का दर्द माननीय सांसद महोदय से बताने आये हैं। क्योंकि किसानों को उनकी फसल का उचित दाम नहीं मिल रहा जिससे किसान तनाव में हैं। किसानों को अगर इस खेती में घाटा लगा तो उन्हें अगली बुवाई करने के लिए परेशानियों का सामना करना पडेगा।

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इस दौरान किसानों ने इंदौर में गणेश शंकर विद्यार्थी प्रतिमा से ओल्ड पलासिया तक जुलूस निकालकर प्रदर्शन किया। यह जुलुस सासंद के कार्यालय के सामने समाप्त हुआ। भवांतर राशि के भुगतान में हो रही देरी को लेकर सांसद ने कहा कि इसकी जानकारी मुझे अभी ही मिली है, अगर इसमें कोई गड़बड़ी हो रही है तो इसका निराकरण शीघ्र ही किया जाएगा। लहसुन के गिरते हुए भावों को लेकर राजधानी भोपाल में आला अधिकारियों के बीच बैठकों का दौर चल रहा है। आज से विधानसभा का मानसून सत्र भी प्रारम्भ हो चुका है, हो सकता है इसमें मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान किसानों के पक्ष में कोई बड़ा फैसला लें। जिससे किसानों को लहसुन की खेती में होने वाले नुकसान की भरपाई की जा सके।

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मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की छवि प्रदेश में किसानों के मित्र के रूप में है, ऐसे में वो किसानों को लेकर मॉनसून सत्र में कोई बड़ी घोषणा कर सकते हैं। मुख्यमंत्री अक्सर किसानों के हित की बात करते हैं और किसानों के उत्थान के लिए उन्होंने अभी तक कई योजनाएं चलाई हैं, जिनसे किसानों को फायदा भी हुआ है। इन योजनाओं की सहायता से किसानों का उत्पादन बढ़ने के साथ-साथ किसानों की आय में भी बढ़ोत्तरी हुई है।
भारतीय स्टेट बैंक दुधारू पशु खरीदने के लिए किसानों को देगा लोन

भारतीय स्टेट बैंक दुधारू पशु खरीदने के लिए किसानों को देगा लोन

भारत दुनिया का सबसे बड़ा दुग्ध उत्पादक देश है, लेकिन यहां दूध की खपत भी बहुत ज्यादा है, इसलिए केंद्र तथा राज्य सरकारें ज्यादा से ज्यादा दुग्ध उत्पादन में बढ़ोत्तरी की कोशिश कर रही हैं, ताकि घरेलू जरुरत को पूरा करने के साथ ही दूध का निर्यात भी किया जा सके। जिससे किसानों को अतिरिक्त आमदनी हो सके और भारत सरकार विदेशी मुद्रा अर्जित कर पाए। इन लक्ष्यों को देखते हुए मध्य प्रदेश सरकार भी प्रदेश में दुग्ध उत्पादन बढ़ाने के लिए प्रयासरत है, जिसके लिए सरकार ने कई कदम उठाए हैं। प्रदेश में दुग्ध उत्पादन को बढ़ाने के लिए मध्य प्रदेश शासन ने पिछले कुछ वर्षों में मध्य प्रदेश स्टेट कोऑपरेटिव डेयरी फेडरेशन के अंतर्गत कई नई दूध डेयरी खोली हैं तथा दूध के प्रोसेसिंग के लिए नए प्लांट लगाए हैं। इसके साथ ही अब मध्य प्रदेश स्टेट कोऑपरेटिव डेयरी फेडरेशन ने दुग्ध उत्पादन में वृद्धि के लिए एक नया रास्ता अपनाया है। इसके लिए मध्य प्रदेश स्टेट कोऑपरेटिव डेयरी फेडरेशन ने भारतीय स्टेट बैंक के साथ एक एमओयू (MOU) साइन किया है, जिसके अंतर्गत भारतीय स्टेट बैंक किसानों को दुधारू पशु खरीदने के लिए लोन उपलब्ध करवाएगा। एमओयू में शामिल किये गए अनुबंधों के अनुसार, अब दुग्ध संघों की वार्षिक सभाओं में भारतीय स्टेट बैंक के अधिकारी मौजूद रहेंगे तथा किसानों को दुधारू पशु खरीदने के लिए लोन दिलाने में सहायता करेंगे।

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मध्य प्रदेश स्टेट कोऑपरेटिव डेयरी फेडरेशन के प्रबंध संचालक तरूण राठी ने बताया कि दुग्ध संघ के कार्यक्षेत्र में जो भी समितियां आती हैं, उनके पात्र सदस्यों को त्रि-पक्षीय अनुबंध के तहत दुधारू पशु खरीदने में मदद की जाएगी। पात्र समिति सदस्य या किसान 2 से लेकर 8 पशु तक खरीद सकता है। इसके लिए प्रत्येक जिले में भारतीय स्टेट बैंक की चयनित शाखाएं लोन उपलब्ध करवाएंगी।

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लोन लेने वाले किसान को प्रारंभिक रूप में 10 प्रतिशत रूपये मार्जिन मनी (Margin Money) के रूप में जमा करना होगा। उसके बाद 10 लाख रुपये तक का लोन बिना कुछ गिरवी रखे उपलब्ध करवाया जाएगा। इसके साथ ही किसान को 1 लाख 60 हजार रुपए का नान मुद्रा लोन बिना कुछ गिरवी रखे, त्रि-पक्षीय अनुबंध के तहत दिलवाया जाएगा।

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जिस किसान या पशुपालक ने पशु खरीदने के लिए लोन लिया है, उसे यह रकम 36 किस्तों में बैंक को वापस करनी होगी। लोन लेने वाले किसान को समिति में दूध देना अनिवार्य होगा। जिसके बाद समिति प्रति माह दूध की कुल राशि का 30 प्रतिशत, लोन देने के लिए बैंक को भुगतान करेगी। बाकी 70 प्रतिशत किसान को दे देगी। लोन लेने के लिए पात्र किसान को दुग्ध संघ द्वारा जारी किये गए निर्धारित प्रोफार्मा में आवेदन के साथ फोटो, वोटर आईडी, पेनकार्ड, आधार कार्ड, दुग्ध समिति की सक्रिय सदस्यता का प्रमाण पत्र तथा त्रि-पक्षीय अनुबंध (संबंधित बैंक शाखा, समिति एवं समिति सदस्य के मध्य) आदि दस्तावेज संलग्न करने होंगे। जिसके बाद उन्हें दुधारू पशु खरीदने के लिए लोन उपलब्ध करवाया जाएगा।
मध्य प्रदेश में बाढ़ प्रभावित किसानों को मिली सहायता, 202 करोड़ रुपए हुए जारी

मध्य प्रदेश में बाढ़ प्रभावित किसानों को मिली सहायता, 202 करोड़ रुपए हुए जारी

मध्य प्रदेश में इस साल सामन्य से ज्यादा वर्षा दर्ज की गई है। कई जिलों में बरसात के पिछले कई सालों के रिकॉर्ड टूट गए हैं। वर्षा के कारण शहरों से लेकर ग्रामीण लोगों का जनजीवन बेहद प्रभावित हुआ है। किसानों को इस बरसात से भारी नुकसान हुआ है, जिसको देखते हुए मध्य प्रदेश शासन ने किसानों की सहायता करने का निर्णय लिया है। मध्य प्रदेश शासन के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने भारी वर्षा की वजह से सबसे ज्यादा प्रभावित 19 जिलों के किसानों को सिंगल क्लिक के माध्यम से 202 करोड़ 64 लाख रुपये की सहायता राशि ट्रांसफर की है। इन 19 जिलों में विदिशा, सागर, गुना, रायसेन, दमोह, हरदा, मुरैना, आगर-मालवा, बालाघाट, भोपाल, अशोकनगर, सीहोर, नर्मदापुरम, श्योपुर, छिंदवाड़ा, भिंड, राजगढ़, बैतूल और सिवनी जिले का नाम शामिल है।

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अगर इस साल भारी वर्षा से प्रभावित रकबे की बात करें, तो यह लगभग 2 लाख 2 हजार 488 हेक्टेयर है। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के साथ इस मीटिंग में सम्बंधित जिलों के कलेक्टर और कृषि विभाग के अन्य अधिकारी वर्चुअली रूप से शामिल हुए। इस दौरान मुख्यमंत्री के साथ मुख्य सचिव श्री इकबाल सिंह बैंस और मंत्रालय के अन्य वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित रहे। कार्यक्रम के दौरान मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने बताया कि प्रदेश में अति वृष्टि का बेहद बीरीकी से अध्ययन किया गया है। बाढ़ का पानी उतरने के बाद हर गांव का सर्वे करवाया गया है। मकानों के क्षतिग्रस्त होने और घरेलू सामग्री के नुकसान और पशु हानि के लिए मध्य प्रदेश शासन पहले ही 43 करोड़ 87 लाख रूपये की राशि वितरित कर चुका है। अब तक पूरे प्रदेश में 1 लाख 91 हजार 755 किसानों के खातों में सहायता राशि भेजी जा चुकी है।


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मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान ने किसानों को राहत राशि अंतरित करते वक़्त कुछ हितग्राहियों से भी चर्चा की। शिवराज सिंह चौहान के साथ चर्चा में विदिशा जिले के मनमोहन सिंह दांगी, सागर के संजीव विश्वकर्मा और गुना जिले के रंगलाल ऑनलाइन माध्यम से शामिल हुए। इस दौरान मंत्री श्री गोविंद सिंह राजपूत ने मीडिया को बताया कि इस साल प्रदेश के 23 जिलों में सामान्य वर्षा हुई है, वहीं 26 जिलों में अधिक वर्षा हुई है तथा 3 जिलों में अत्याधिक बरसात हुई है। मुख्यमंत्री ने बिना देर किये हुए सभी प्रभावित  लोगों को जल्द से जल्द आर्थिक सहायता मुहैया करवाई है।
लगातार सातवीं बार इस राज्य ने जीता कृषि कर्मण अवॉर्ड, हासिल किया ये मुकाम

लगातार सातवीं बार इस राज्य ने जीता कृषि कर्मण अवॉर्ड, हासिल किया ये मुकाम

भारत में सरकारों के द्वारा लगातार किसानों की आमदनी बढ़ाने के प्रयास हो रहे हैं। इसके तहत राज्य सरकारें अपने किसानों को ज्यादा से ज्यादा सुविधाएं मुहैया करवा रही हैं ताकि किसान ज्यादा से ज्यादा उत्पादन कर सकें। किसानों को केंद्र सरकार भी अपने स्तर पर प्रोत्साहित करती रहती है ताकि किसान ज्यादा से ज्यादा उत्पादन करने के लिए प्रेरित हो सकें। इसके साथ ही केंद्र सरकार हर साल कृषि क्षेत्र की उन्नति में राज्यों के प्रदर्शन के आधार पर 'कृषि कर्मण अवॉर्ड' (Krishi Karman Award) देती है, जो कृषि क्षेत्र में राज्यों के बेहतरीन कामों के लिए दिया जाता है। मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने 1 नवम्बर को मध्य प्रदेश स्थापना दिवस पर भोपाल के लाल परेड मैदान में अपनी सरकार की उपलब्धियां गिनवाईं। इस दौरान मुख्यमंत्री ने बताया कि इस साल एक बार फिर से मध्य प्रदेश ने कृषि क्षेत्र में शानदार प्रदर्शन करते हुए 'कृषि कर्मण अवॉर्ड' लगातार सातवीं बार अपने नाम किया है। प्रदेश में खेती-किसानी में जोखिम कम हुए हैं, तथा प्रदेश के किसान सरकार के द्वारा किसानों के हितों में चलाई जा रही नई योजनाओं तथा उन्नत तकनीक की मदद से ज्यादा उत्पादन ले रहे हैं। साथ ही शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि यह किसानों की मेहनत का ही नतीजा है जिसके कारण अब प्रदेश के किसान देश के साथ-साथ विदेशों को भी अपने कृषि उत्पाद निर्यात कर रहे हैं। उन्होंने यह भी बताया कि अब प्रदेश में किसान जहरीली रासायनिक खेती को त्यागकर जैविक खेती पर फोकस कर रहे हैं। मध्य प्रदेश में जैविक खेती का रकबा बढ़कर 16.37 लाख हेक्टेयर हो गया है।

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दलहन और तिलहन उत्पादन में अग्रणी है मध्य प्रदेश

भारत तिलहन का बहुत बड़ा उपभोक्ता देश है, इसलिए भारत में मांग के हिसाब से तिलहन का उत्पादन नहीं होता है, जिसके कारण भारत सरकार बड़ी मात्रा में तिलहन का आयात करती है ताकि घरेलू जरूरतों को पूरा किया जा सके। इसके साथ ही भारत सरकार ज्यादा से ज्यादा तिलहन के उत्पादन पर जोर देती है ताकि आयात को कम किया जा सके और विदेशी मुद्रा बचाई जा सके। इस मामले में मध्य प्रदेश राज्य केंद्र सरकार के प्रयासों के ऊपर 100 फीसदी खरा उतरता है। मध्य प्रदेश में भारी मात्र में सोयाबीन का उत्पादन होता है, जिसकी बदौलत ही मध्य प्रदेश तिलहन उत्पादन के मामले में भारत भर में शीर्ष पर है। तिलहन उत्पादन के साथ ही अगर दलहन की बात करें तो इस मामले में भी मध्य प्रदेश भारत भर में प्रथम स्थान रखता है। साथ ही अगर फसलों की बात करें तो गेहूं, मक्का, मसूर और तिल उत्पादन में भी मध्य प्रदेश पहला स्थान रखता है। मध्य प्रदेश की कई फसलों को केंद्र सरकार द्वारा जीआई टैग भी प्रदान किया गया है।

लगातार बढ़ रहा है फसलों का उत्पादन

मध्य प्रदेश में फसलों का उत्पादन रिकार्ड स्तर की तेजी के साथ बढ़ रहा है। यह कारक 'कृषि कर्मण अवॉर्ड' मध्य प्रदेश को दिलाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। राज्य में अब जायद की फसल का रकबा बढ़कर 12.47 साल हेक्टेयर पर पहुंच गया है। मध्य प्रदेश ने साल 2020-21 के दौरान देश में गेहूं का सर्वाधिक उत्पादन किया है। इसके साथ ही अगर मूंग के उत्पादन की बात करें तो राज्य में मूंग का उपार्जन बढ़कर 9 लाख मीट्रिक टन से आगे निकल चुका है।

फसलों के साथ ही इन क्षेत्रों में भी हुआ है विकास

मध्य प्रदेश में किसानों ने फसलों के साथ-साथ पशुपालन और बागवानी क्षेत्र ने भी शानदार उपलब्धि हासिल की है। अगर राज्य में बागवानी फसलों के रकबे की बात करें तो राज्य में एक समय पर जहां बागवानी फसलों का क्षेत्रफल मात्र 4.67 लाख हेक्टेयर था, वो अब बढ़कर 25 लाख हेक्टेयर तक पहुंच गया है। राज्य में बागवानी फसलों में फलों की खेती, औषधीय पौधों की खेती और मसालों की खेती में भारी वृद्धि हुई है। बागवानी के साथ-साथ पशुपालन को बढ़ावा देने के लिए राज्य सरकार किसान, पशुपालक और मछली पालकों को किसान क्रेडिट कार्ड जारी कर रही है।

प्रदेश में किसानों को मिलता है अतिरिक्त आर्थिक अनुदान

मध्य प्रदेश में किसानों को मुख्यमंत्री किसान कल्याण योजना के तहत राज्य सरकार की तरफ से हर साल 4,000 रुपये का आर्थिक अनुदान दिया जाता है। इसके साथ ही केंद्र सरकार किसानों को प्रति वर्ष 6,000 रुपये का आर्थिक अनुदान प्रदान करती है। इस तरह से मध्य प्रदेश के किसानों को केंद्र तथा राज्य सरकार के द्वारा कुल मिलाकर प्रति वर्ष 10,000 रुपये का आर्थिक अनुदान मिलता है। केंद्र तथा राज्य सरकार की इन योजनाओं से मध्य प्रदेश के लगभग 80 लाख किसान लाभान्वित होते हैं।
मध्य प्रदेश: सरकार मेहरबान, इन यंत्रों की खरीद पर भारी सब्सिडी

मध्य प्रदेश: सरकार मेहरबान, इन यंत्रों की खरीद पर भारी सब्सिडी

किसान का औजार ही उसकी जिन्दगी को संवारने का असल हथियार होता है। अगर किसान के पास सही यंत्र हो, सही औजार हो तो वह अपनी खेती और बेहतर तरीके से कर सकते हैं जिससे कि उनकी जिन्दगी खुशहाल हो सके, इसे लेकर राज्य सराकारें और केन्द्र सरकार कई योजनाएं भी चलाती रहती हैं। हाल ही में, मध्य प्रदेश सरकार ने भी ऐसा ही एक फैसला लिया है। शिवराज सिंह चौहान की अध्यक्षता में कैबिनेट की बैठक में यह फैसला लिया गया, सरकार ने कृषि से संबंधित कई योजनाओं को प्रोत्साहन देने का फैसला लिया है। जाहिर है, ऐसे फैसलों से किसानों को बेहतर फ़ायदा मिल सकेगा और उनकी आमदनी भी बढ़ सकेगी। हालांकि, सरकार ने नरवाई जलाने के सिस्टम को कम करने और ख़त्म करने का भी संकल्प लिया है। लेकिन, सबसे बड़ी खबर यह है कि मत्स्य-पालन को बढ़ावा देने के लिए 100 करोड़ रूपये आवंटित किए गए, वहीं दूसरी तरफ फसल अवशेष के बेहतर मैनेजमेंट के लिए कृषि यंत्रों की खरीद पर सब्सिडी दी जाएगी। यदि किसी किसान को इसमें किसी भी प्रकार का कोई संशय है तो वो dbt.mpdage.org में जाकर योजना से संबंधित नियम कायदे पढ़ सकता है, इसके अलावा किसान उप संचालक कृषि कार्यालय से संपर्क कर सकता है। जहां पर योजना से सम्बंधित जानकारी प्रदान की जाएगी।

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सरकार ने पावर ड्रिवेन एग्रीकल्चरल इंस्ट्रूमेंट्स की खरीदारी पर 50 प्रतिशत तक की सब्सिडी देने का ऐलान किया है। लघु, सीमान्त, महिला, अनुसूचित जाति और जनजाति किसानों को पचास प्रतिशत और अन्य किसानों को 40 प्रतिशत तक की सब्सिडी दी जाएगी। मुख्यमंत्री मत्स्य विकास योजना के लिए भी 100 करोड़ रूपये खर्च किए जाएंगे, जिससे भारी संख्या में मत्स्यजीवी फ़ायदा उठा सकेंगे। शिवराज सरकार ने मुख्यमंत्री युवा अन्नदूत स्कीम भी चलाने का निर्णय लिया है। इसके तहत, सबसे पहले 888 बेरोजगार युवाओं को बैंक लोन दिया जाएगा। इस पैसे से उन्हें वाहन दिया जाएगा, जिसका इस्तेमाल पीडीएस के तहत राशन को सुदूर क्षेत्रों तक भेजने में किया जाएगा। जाहिर है, इन योजनाओं से आम किसान, बेरोजगार युवा और मत्स्यजीवी समुदाय को काफी फायदा होने जा रहा है। अगर ये सारे स्कीम्स जमीन पर पूरी तरह ईमानदारी से लागू हो जाए, तो इसमें कोइ संदेह नहीं कि किसानों को इसका फ़ायदा न मिले या उनकी जिन्दगी में बदलाव न आए।